शिमला: मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने मंगलवार को राज्य सचिवालय में सचिवों और विभागाध्यक्षों से प्रशासनिक सुधारों के क्रियान्वयन को लेकर सवाल किए, लेकिन अधिकांश अधिकारी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए. उन्होंने विशेष रूप से तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अधिकारियों से जानकारी मांगी.
पहला, पूंजीगत निवेश के तहत मिलने वाली विशेष वित्तीय सहायता में से इस वित्त वर्ष में कितनी धनराशि खर्च की गई है. दूसरा, कितने विभागों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र को अद्यतन किया है या कितने प्रमाणपत्र बकाया हैं. तीसरा, स्पर्श (SPARSH) के तहत कितनी योजनाएं विभागों ने जोड़ी हैं या एकीकृत की हैं.
बैठक में कृषि, शहरी विकास, नगर एवं ग्राम नियोजन, पर्यटन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व तथा वित्त विभाग के अधिकारी उपस्थित थे.
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार से प्राप्त विशेष सहायता पूंजीगत निवेश की राशि का केवल कुछ प्रतिशत ही व्यय हो सका है. विस्तृत आंकड़े विभागों से प्राप्तियों के आधार पर अभी समीक्षा के अधीन हैं. सरकारी सूत्रों के अनुसार, अब तक लगभग 30-35 प्रतिशत राशि ही उपयोग में लाई गई है, जबकि शेष निधि के उपयोग में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं.
उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के मामले में भी अधिकांश विभाग पीछे हैं. अधिकारियों ने बताया कि कई प्रमाणपत्र पिछले 6-12 महीने से अद्यतन नहीं हुए हैं और कुछ विभाग तो 18 महीने से भी अधिक समय से प्रमाणपत्र जमा नहीं कर पाए हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि यह अनुशासनहीनता स्वीकार नहीं की जाएगी और तुरंत प्रमाणपत्र अद्यतन कराने का निर्देश दिया गया.
स्पर्श को लेकर भी अधिकारियों ने बताया कि राज्य स्तर पर कई सरकारी विभाग इस सिस्टम से परिचित नहीं हैं और योजनाएं पूरी तरह एकीकृत नहीं हो पाई हैं. केवल दो-तीन विभागों ने एकीकरण किया है, जबकि अधिकांश विभागों को अब तक स्पर्श से जोड़ना बाकी है. इसका कारण प्रक्रियागत बाधाएं और डाटा माइग्रेशन की जटिलताएं बताई गईं.
मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने निर्देश दिया कि सभी विभागों को समयबद्ध योजना प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें पूंजीगत व्यय, प्रमाण पत्र अद्यतन, स्पर्श एकीकरण, भू-दस्तावेज सुधार और शहरी नक्शा डिजिटाइजेशन शामिल हों. उन्होंने कहा कि हर विभाग को तीन माह में अधूरे कार्य पूर्ण करने होंगे, अन्यथा जवाबदेही तय की जाएगी.
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