नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राजनीति में छोटी सी घटना भी कब बड़ा सियासी भूचाल खड़ा कर दे, कहना मुश्किल है। सूबे में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीधी टक्कर रहती है, और दोनों दल एक-दूसरे के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं। इसी बीच हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने यूपी की सियासत में हलचल तेज कर दी है।
दरअसल, कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय को फोन किया था। यह फोन कॉल राजीव राय के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें बधाई देने के लिए किया गया था। सपा सांसद ने गृह मंत्री से बात की, और इस बातचीत का एक वीडियो भी सामने आया था। इस वीडियो के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे। अब खुद राजीव राय ने इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण दिया है।
क्या है पूरा मामला?
सपा सांसद राजीव राय के जन्मदिन के अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें फोन करके जन्मदिन की बधाई दी थी। इस दौरान सपा सांसद ने फोन को स्पीकर पर रखकर बात की थी, जिसका वीडियो भी सामने आया और तेजी से वायरल हो गया। इस वीडियो के वायरल होते ही राजनीतिक गलियारों में कयासों का बाजार गर्म हो गया। यह चर्चा तेज हो गई कि कहीं इस फोन कॉल के पीछे कोई राजनीतिक मंशा तो नहीं है, और क्या राजीव राय बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
राजीव राय ने दी सफाई
चर्चाओं का दौर आगे बढ़ता देख, खुद सपा सांसद राजीव राय ने इस मामले में आगे आकर अपनी बात रखी। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी किया और समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए भी अपनी स्थिति स्पष्ट की। राजीव राय ने कहा कि वह अमित शाह के आभारी हैं।
उन्होंने आगे बताया कि अमित शाह ने पिछले साल भी उन्हें फोन करके जन्मदिन की बधाई दी थी। इस बार भी उन्होंने कॉल स्पीकर पर रखी थी, और उनके पीछे खड़े एक व्यक्ति ने इसे रिकॉर्ड कर लिया था। राजीव राय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वह संसद में तीसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के सांसद हैं, और वह किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का सपना भी नहीं देख सकते। उन्होंने साफ किया कि यह केवल एक शिष्टाचार भेंट थी और इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।
सियासी मायने
भले ही राजीव राय ने इस मामले पर स्पष्टीकरण दे दिया हो, लेकिन इस घटना ने यूपी की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। विपक्षी दल अक्सर सत्ताधारी दल पर अपने नेताओं को तोड़ने का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में गृह मंत्री के एक विपक्षी सांसद को जन्मदिन की बधाई देने मात्र से ही सियासी गलचल तेज हो जाती है, जो उत्तर प्रदेश की राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह घटना यह भी बताती है कि कैसे छोटी सी घटना भी बड़े राजनीतिक निहितार्थ लेकर आ सकती है, खासकर ऐसे राज्य में जहां बीजेपी और सपा जैसे प्रमुख दल लगातार एक-दूसरे को चुनौती देते रहते हैं। राजीव राय के स्पष्टीकरण से फिलहाल इन कयासों पर विराम लग गया है, लेकिन यह घटना निश्चित रूप से यूपी की सियासत में चर्चा का विषय बनी रहेगी।