Uttarakhand: देहरादून को असुरक्षित शहरों की सूची में शामिल करने पर राज्य महिला आयोग का खंडन – The Hill News

Uttarakhand: देहरादून को असुरक्षित शहरों की सूची में शामिल करने पर राज्य महिला आयोग का खंडन

देहरादून। हाल ही में एक निजी सर्वे कंपनी/डेटा साइंस कंपनी “पी वैल्यू एनालिटिक्स” द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से “NARI-2025” शीर्षक के साथ एक सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में सम्मिलित किया गया है। इस पर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने स्पष्ट किया है कि उक्त सर्वेक्षण न तो राष्ट्रीय महिला आयोग अथवा राज्य महिला आयोग द्वारा कराया गया है, और न ही किसी अन्य सरकारी सर्वेक्षण संस्थान द्वारा किया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा भी उक्त संबंध में आयोग स्तर से किसी भी प्रकार का सर्वेक्षण कराये जाने का खंडन किया गया है। साथ ही उक्त रिपोर्ट को निजी सर्वे कंपनी द्वारा स्वतंत्र रूप से तैयार किया जाना बताया गया है। अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार यह पहल पूरी तरह पी वैल्यू एनालिटिक्स का स्वतंत्र कार्य है, जो अपराध के आंकड़ों के आधार पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत धारणाओं पर भी आधारित है।

सर्वेक्षण पद्धति पर सवाल

सर्वेक्षण रिपोर्ट के अध्ययन से स्पष्ट है कि उक्त सर्वेक्षण देश के 31 शहरों में किया गया है, जो CATI (Computer Assisted Telephonic Interviews) एवं CAPI (Computer Assisted Personal Interviews) पर आधारित है। अर्थात सर्वेक्षण कंपनी द्वारा महिलाओं से भौतिक रूप से सीधा संवाद नहीं किया गया, बल्कि मात्र 12770 महिलाओं से टेलीफोनिक वार्ता के आधार पर उक्त रिपोर्ट को तैयार किया गया है। देहरादून में महिलाओं की लगभग 9 लाख की आबादी के सापेक्ष केवल 400 महिलाओं के सैम्पल साइज के आधार पर इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्ट करके निष्कर्ष निकाला जाना प्रतीत होता है।

सरकारी प्रयासों और आंकड़ों का खंडन

रिपोर्ट के अनुसार मात्र 4 प्रतिशत महिलाओं द्वारा एप अथवा तकनीकी सुविधाओं का उपयोग किया जा रहा है, जबकि महिला सुरक्षा के लिए विकसित गौरा शक्ति एप में महिलाओं के 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जिसमें से 16649 रजिस्ट्रेशन मात्र देहरादून जनपद के ही हैं। इसके अतिरिक्त डायल 112, उत्तराखंड पुलिस एप, सी.एम. हेल्पलाइन, उत्तराखंड पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से प्रयोग किया जा रहा है। इससे स्पष्ट है कि सर्वेक्षण रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है।

सर्वेक्षण के मानकों में पुलिस से संबंधित 02 बिंदु हैं, 01: पुलिस पेट्रोलिंग एवं 02: क्राइम रेट। बिंदु संख्या 01 पुलिस पेट्रोलिंग में सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि देहरादून पुलिस पेट्रोलिंग के आधार पर सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा से भी ऊपर है। “हैरसमेंट एट पब्लिक प्लेसेस” शीर्षक में पूरे देश का स्कोर 07 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का 6 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि देहरादून में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अन्य शहरों की तुलना में स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। “हाई क्राइम रेट” शीर्षक में देहरादून का स्कोर 18 प्रतिशत बताया गया है, जो तथ्यों पर आधारित नहीं है।

देहरादून में महिला संबंधी शिकायतों का विश्लेषण

माह अगस्त में जनपद देहरादून में डायल 112 के माध्यम से कुल 12354 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से मात्र 2287 (18 प्रतिशत) शिकायतें महिलाओं से संबंधित हैं। उक्त 2287 शिकायतों में से भी 1664 शिकायतें घरेलू झगड़ों से संबंधित हैं। शेष 623 शिकायतों में से भी मात्र 11 शिकायतें लैंगिक हमलों/छेड़खानी से संबंधित हैं। इससे स्पष्ट है कि महिला संबंधी कुल शिकायतों में से छेड़छाड़ की शिकायतों का औसत 01 प्रतिशत से भी कम है। उक्त शिकायतों में पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम 13.33 मिनट है। अर्थात महिला संबंधी अपराधों के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता प्राथमिकता पर है।

वर्तमान में देहरादून में बाहरी प्रदेशों के लगभग 70 हजार छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें से 43% संख्या छात्राओं की है। उक्त छात्र/छात्राओं में काफी संख्या में विदेशी छात्र/छात्राएं भी अध्ययनरत हैं। उक्त छात्र/छात्राओं द्वारा सुरक्षित परिवेश में जनपद देहरादून में निवास करते हुए शिक्षा ग्रहण की जा रही है।

महिला सुरक्षा हेतु किए गए उपाय

महिला संबंधी शिकायतों की सुनवाई एवं निराकरण हेतु जनपद स्तर पर एवं प्रत्येक थाना स्तर पर महिला हेल्प लाइन/हेल्प डेस्क स्थापित हैं। उत्तराखंड पुलिस एप में आकस्मिक स्थिति हेतु S.O.S. बटन स्थापित है। साथ ही साथ नगर क्षेत्र में वन स्टॉप सेंटर भी संचालित हो रहा है। महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु जनपद में पुरुष चीता के साथ-साथ 13 गौरा चीता भी चल रही हैं, जिनमें प्रशिक्षित महिला पुलिसकर्मियों को ही नियुक्त किया गया है। साथ ही साथ ऐसे भीड़-भाड़ वाले स्थानों जहां महिलाओं का आवागमन ज्यादा है, वहां पिंक बूथ स्थापित किए गए हैं एवं एकीकृत सीसीटीवी सिस्टम भी स्थापित किया गया है, जिसका कंट्रोल रूम संबंधित थाने को बनाया गया है। समय-समय पर महिलाओं के लिए आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही साथ जनपद में स्थित शैक्षणिक संस्थानों एवं ऐसे कार्यस्थलों जहां महिलाएं कार्यरत हैं, में जनपद पुलिस द्वारा निरंतर महिला सुरक्षा संबंधी शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।

महिलाओं को उनके साथ होने वाले अपराधों के प्रति संवेदित किया जा रहा है एवं अपराधों की सूचना देने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। महिला अपराधों को तत्काल पंजीकृत करते हुए त्वरित निस्तारण करने हेतु सभी थानों को निर्देशित किया गया है। वर्ष 2025 में बलात्कार, शील भंग, स्नेचिंग जैसी सभी घटनाओं का शत प्रतिशत अनावरण किया गया है।

देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी के एकीकृत कंट्रोल रूम के 536, पुलिस कंट्रोल रूम के 216 सीसीटीवी कैमरों के साथ लगभग 14000 सीसीटीवी कैमरे कार्यशील हैं, जिनकी सहायता से पुलिस द्वारा निरंतर अपराध एवं अपराधियों पर सतर्क दृष्टि रखी जा रही है। सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है।

सर्वेक्षण की विश्वसनीयता पर प्रश्न

उक्त तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि एक निजी कंपनी के स्वतंत्र रूप से महिला सुरक्षा संबंधी सर्वे के आधार पर देहरादून शहर को देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में रखा जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। सर्वेक्षण में किन लोगों को सम्मिलित किया गया यह स्पष्ट नहीं है। सर्वेक्षण में भाग लेने वालों की आयु, शिक्षा, रोजगार स्थिति के संबंध में स्पष्टता नहीं है। प्रतिभागी स्थानीय निवासी थे अथवा पर्यटक यह भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि सुरक्षा की धारणा आयु तथा जीवनशैली के आधार पर भिन्न होती है। जहां किशोरियां एक ओर रात्रि में असुरक्षित महसूस कर सकती हैं, वहीं कामकाजी महिलाएं अलग अनुभव रख सकती हैं। स्थानीय लोगों की तुलना में बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक शहर से अपरिचित होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में अलग राय रख सकते हैं।

इसके अतिरिक्त यह भी विचारणीय है कि मुंबई में नाइट लाइफ है, इसलिए रात्रि में स्वतंत्र रूप से घूमना एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है, जबकि दूसरी ओर देहरादून एक शांत शहर है, यहां यह पैरामीटर प्रासंगिक नहीं हो सकता। स्पष्ट है कि सर्वेक्षण में विभिन्न शहरों की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधताओं/भिन्नताओं को ध्यान में नहीं रखा गया है। प्रत्येक शहर के लिए एक जैसा सैम्पल साइज रखना भी प्रासंगिक नहीं हो सकता, क्योंकि देहरादून की महिला आबादी के मात्र 0.04 प्रतिशत लोगों की राय को संपूर्ण देहरादून की राय मानकर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है।

देहरादून का एनसीआरबी का डेटा दिखाता है कि देहरादून में अपराध दर मेट्रो शहरों से कम है। स्पष्ट है कि सर्वे मात्र अवधारणाओं पर आधारित है न कि वास्तविक तथ्यों/आंकड़ों पर।

देहरादून शहर हमेशा से सुरक्षित शहरों में गिना जाता है, यही कारण है कि देहरादून में प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्थानों के साथ-साथ ख्याति प्राप्त शैक्षणिक संस्थान भी स्थित हैं, जिनमें देश-विदेश के छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं। इसके अतिरिक्त देहरादून में अनेकों पर्यटक स्थल भी स्थित हैं, जिसमें वर्ष भर भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन बना रहता है। छात्र/छात्राओं तथा पर्यटकों की निरंतर बढ़ती संख्या स्वयं में इस बात का प्रमाण है कि देहरादून शहर आम जनमानस एवं बाहरी प्रदेशों से आने वाले लोगों/पर्यटकों/छात्र-छात्राओं के लिए कितना सुरक्षित है।

हम सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, लेकिन नीतिगत निर्णयों के लिए यह आवश्यक है कि सर्वे की पद्धति मजबूत हो। कृपया स्केल्स, सैंपलिंग, प्रश्न-फ्रेमिंग और सुरक्षा की परिभाषा के संबंध में स्पष्टता प्रदान करें।

 

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