शिमला। हिमाचल प्रदेश को ‘आपदाग्रस्त राज्य’ घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान इसकी घोषणा की। प्रदेश में आपदा से अब तक 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और ₹3000 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है।
हिमाचल प्रदेश को पहली सितंबर से आपदाग्रस्त राज्य घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में मानसून की वर्षा जारी रहने तक हिमाचल आपदाग्रस्त राज्य घोषित रहेगा और इसके बाद ही इससे संबंधित अधिसूचना को वापस लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करने से संबंधित आदेश सभी उपायुक्तों को दे दिए गए हैं और आपदा प्रबंधन कानून की धारा 34 के तहत कार्रवाई करने को कहा गया है। आपदाग्रस्त राज्य घोषित करने का निर्णय लिया गया है और इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। प्रदेश में बार-बार आई आपदा से सड़कों, पुलों, बिजली, पेयजल आपूर्ति योजनाओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
सीएम सदन में बोले, मणिमहेश में 16 श्रद्धालुओं की हुई मौत:
सत्र के दौरान प्रश्नकाल में व्यवधान के कारण पौने घंटे तक स्थगित रहने के बाद विधानसभा में मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक विशेष वक्तव्य में कहा कि चंबा जिले की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा में अब तक विभिन्न कारणों से 16 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इनमें से चार श्रद्धालुओं के शव अभी भरमौर के कुगती में फंसे हैं, क्योंकि लगातार हो रही वर्षा के कारण इन्हें निकालना संभव नहीं है।
आपदा में फंसे युवा, परीक्षाओं को स्थगित किया जाए: जयराम:
इस बीच, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि भरमौर में 500 से ज्यादा लोग अभी भी फंसे हुए हैं, क्योंकि ये लोग चलने की स्थिति में नहीं हैं। वहां सड़क, पानी और बिजली की सुविधा युद्ध स्तर पर बहाल की जाए, ताकि फंसे हुए लोगों को भरमौर से निकाला जा सके। उन्होंने कहा कि भरमौर और चंबा के अन्य हिस्सों के कुछ युवा फंसे हुए हैं और अपनी परीक्षा देने नहीं जा पा रहे हैं, यदि संभव हो तो परीक्षाओं को स्थगित किया जाना चाहिए।
सीएम ने रखी सत्र बढ़ाने की मांग:
मुख्यमंत्री सुक्खू ने सत्र को तीन दिन और बढ़ाने की मांग भी रखी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री और विपक्ष के नेता आदि से चर्चा करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत से प्रश्न नहीं लगे हैं, उनके जवाब आने हैं और विधायकों ने अपनी बात रखनी है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 18 अगस्त को आरंभ हुआ था और 2 सितंबर तक चलना है। मानसून सत्र में पहली बार 12 बैठकें रखी गई हैं। सामान्य तौर पर पांच से सात बैठकें मानसून सत्र में होती हैं।