नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर अमेरिकी अदालत से झटका लगा है। हाल ही में उनके टैरिफ (आयात शुल्क) को गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद, अब अमेरिकी न्यायालय ने ट्रंप प्रशासन की तेज़ गति से निर्वासन (फास्ट ट्रैक डिपोर्टेशन) की नीति की कड़ी आलोचना की है। अदालत का कहना है कि ट्रंप का यह फैसला अप्रवासियों के अधिकारों का हनन है और इससे उनकी स्वतंत्रता पर गहरा आघात लगा है।
वाशिंगटन डीसी की जिला न्यायाधीश जिया कॉब ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन को अप्रवासियों के तेज़ गति से निर्वासन के विस्तार से रोक दिया। न्यायाधीश कॉब के अनुसार, जनवरी में ट्रंप प्रशासन ने अप्रवासियों को बड़े पैमाने पर देश से बाहर निकालना शुरू किया था, जिसके तहत उन्हें कहीं भी गिरफ्तार कर लिया जाता था।
न्यायाधीश कॉब की टिप्पणी: अप्रवासियों के संवैधानिक अधिकार
जस्टिस कॉब ने अपने फैसले में कहा कि जिन लोगों के पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है और न ही यह प्रमाण है कि वे 2 साल से अमेरिका में रह रहे हैं, उन्हें फौरन गिरफ्तार कर लिया जाता है।[1] उन्होंने स्पष्ट किया कि पांचवें संशोधन के तहत अप्रवासियों को भी अधिकार मिले हैं, और ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से उनकी स्वतंत्रता को गहरा आघात लगा है। उनका मानना है कि हर चीज़ से परे सिर्फ अप्रवासियों को किसी भी तरह देश से बाहर करने पर ध्यान केंद्रित करना सही नहीं है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पहले तेज़ गति से निर्वासन उन अप्रवासियों तक सीमित था जिन्हें सीमा के 100 मील के भीतर रोका गया था और जो 14 दिनों से कम समय से अमेरिका में थे।[ ट्रंप प्रशासन की जनवरी की नीति ने इस दायरे का व्यापक रूप से विस्तार किया, जिससे लाखों अतिरिक्त अप्रवासी तेज़ी से निष्कासन के जोखिम में आ गए।[
ट्रंप प्रशासन की अपील और अदालत का इनकार
अमेरिकी अदालत के इस फैसले पर ट्रंप प्रशासन ने रोक लगाने की अपील की है और कहा है कि वे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।[] हालांकि, जिला न्यायाधीश जिया कॉब ने अपने फैसले पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है।[]
टैरिफ पर भी लगाम
इससे पहले, अमेरिकी संघीय अदालत ने ट्रंप के अधिकांश टैरिफ (आयात शुल्क) को भी गैरकानूनी करार दिया था।[अदालत ने फैसला सुनाया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी वैश्विक टैरिफ नीतियों के साथ अपनी राष्ट्रपति शक्तियों का उल्लंघन किया है।[] अदालत ने टैरिफ हटाने और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए ट्रंप प्रशासन को 14 अक्टूबर तक का समय दिया है।[] अदालत ने कहा कि अमेरिका का कानून राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की प्रतिक्रिया में कई कार्रवाई करने का महत्वपूर्ण अधिकार देता है, “लेकिन इनमें से कोई भी कार्रवाई स्पष्ट रूप से टैरिफ, शुल्क, या इसी तरह के लगाने की शक्ति, या कर लगाने की शक्ति को शामिल नहीं करती है”।
Pls reaD:US: ट्रंप के भारत पर टैरिफ लगाने के फैसले पर अमेरिकी डेमोक्रेट्स ने उठाए सवाल