नई दिल्ली। वैश्विक व्यापार में बढ़ती संरक्षणवाद की लहर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ युद्ध की पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की तारीख तय हो गई है। दोनों नेता रविवार, 31 अगस्त को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात करेंगे। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने और सीमा विवादों पर प्रगति करने के प्रयासों को नई गति मिलने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी, जापान की अपनी दो दिवसीय यात्रा समाप्त करने के बाद राष्ट्रपति शी के निमंत्रण पर एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचेंगे। यह द्विपक्षीय वार्ता न केवल दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच सहयोग के नए रास्ते खोलेगी, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ट्रंप के टैरिफ के संभावित प्रभावों पर भी चर्चा होने की संभावना है, जिसका असर भारत और चीन दोनों पर पड़ सकता है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों नेता इन आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए संभावित साझा रणनीतियों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं।
यह आगामी मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक है। यह पिछले सात वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की चीन की पहली यात्रा होगी। इसके अलावा, जून 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए गंभीर टकराव के बाद यह पहली ऐसी आमने-सामने की बैठक होगी। गलवान घटना के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव देखा गया था, और यह बैठक उस तनाव को कम करने और विश्वास बहाली के उपायों को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगी।
इससे पहले, दोनों नेताओं की आखिरी मुलाकात 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। उस बैठक के बाद से भारत और चीन के बीच चार साल से चल रहे सीमा गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। लगभग 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर गश्त करने के तरीके पर एक समझौते पर पहुंचने के बाद ही द्विपक्षीय वार्ता में सफलता की संभावना बनी है। यह समझौता दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन को लेकर एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है और यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
भारत में चीन के राजदूत जू फीहोंग ने 21 अगस्त को इस यात्रा के महत्व पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा था कि एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तियानजिन यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों के सुधार और विकास को एक नई गति प्रदान करेगी। उन्होंने इस यात्रा को सफल बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि चीन इस यात्रा को बहुत महत्व देता है और इसे द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक निर्णायक क्षण के रूप में देखता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल कजान में राष्ट्रपति शी के साथ अपनी बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में स्थिर और सकारात्मक प्रगति का स्वागत किया है। उन्होंने विशेष रूप से कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का उल्लेख किया, जिसे आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के सिद्धांतों से प्रेरित प्रगति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया गया है। यह धार्मिक यात्रा दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में सहायक होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन के निमंत्रण के लिए राष्ट्रपति शी को धन्यवाद दिया और अपनी स्वीकृति व्यक्त की। उन्होंने एससीओ शिखर सम्मेलन की चीन की अध्यक्षता के लिए भारत के समर्थन को भी दोहराया और कहा कि वह तियानजिन में राष्ट्रपति शी से मिलने के लिए उत्सुक हैं। यह बैठक न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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