देहरादून।
उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने गुरुवार को उत्तरकाशी के धराली में आई भीषण आपदा के बाद चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्यों की गहन समीक्षा की। आईटी पार्क स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) पहुंचकर, उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ग्राउंड जीरो पर मौजूद अधिकारियों से बात की, उनका हौसला बढ़ाया और बचाव दलों के प्रयासों की जमकर सराहना की।
विपरीत परिस्थितियों में असाधारण कार्य
राज्यपाल ने सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, आईटीबीपी और यूकाडा (उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण) की पीठ थपथपाते हुए कहा कि यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि सड़क मार्ग बाधित होने और खराब मौसम जैसी चुनौतियों के बावजूद महज पांच दिनों के भीतर 1308 यात्रियों और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। उन्होंने इस पूरे ऑपरेशन को ‘सामूहिक उत्तरदायित्व का उत्कृष्ट उदाहरण’ बताया, जहाँ कई विभाग एक लक्ष्य के लिए दिन-रात युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री को बताया ‘फ्रंटलाइन लीडर’
राज्यपाल ने इस आपदा को संभालने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व क्षमता की विशेष रूप से प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “धराली आपदा बहुत भीषण थी और इस स्थिति को मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने फ्रंटफुट पर आकर अत्यंत कुशलता से संभाला। उन्होंने एक फ्रंटलाइन लीडर के रूप में देश और दुनिया के सामने उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया और यह दिखाया कि विपदा के समय एक असल लीडर की भूमिका क्या होती है।” उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी में आपदा प्रभावितों का पुनर्वास और क्षतिपूर्ति का कार्य बिना किसी कमी के पूरा किया जाएगा।
तकनीकी समीक्षा और भविष्य की तैयारी पर जोर
इस दौरान राज्यपाल ने ग्राउंड जीरो पर मौजूद यूएलएमएमसी, वाडिया और आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों से भी ऑनलाइन बात की और हर्षिल में बनी झील से जल निकासी तथा धराली में पुल को बचाने के लिए किए जा रहे तकनीकी कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिया कि धराली आपदा में किए गए सभी कार्यों का गहन डॉक्यूमेंटेशन किया जाए, उसका विश्लेषण हो और भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाए। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड के पास आपदा प्रबंधन के कई अनुभव हैं, जिनसे दुनिया को सीखना चाहिए। धराली आपदा के राहत कार्यों को एक पुस्तक के रूप में भी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।”
मानसून अभी बाकी, अलर्ट रहना जरूरी
राज्यपाल ने आगाह किया कि मानसून अभी खत्म नहीं हुआ है और आगे भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए सभी अधिकारियों को चौबीसों घंटे अलर्ट रहने की जरूरत है।
इस अवसर पर, आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने राज्यपाल को बताया कि धराली और हर्षिल क्षेत्र में एक हजार से अधिक कर्मी राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं। राज्यपाल ने यूएसडीएमए द्वारा तैयार की जाने वाली दैनिक रिपोर्ट और मीडिया की सकारात्मक भूमिका की भी सराहना की। बैठक में आपदा प्रबंधन विभाग के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।