देहरादून।
उत्तराखंड में देववाणी संस्कृत को फिर से आम बोलचाल की भाषा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को 13 जिलों में 13 ‘आदर्श संस्कृत ग्राम’ घोषित किए। देहरादून के भोगपुर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने इस महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने यह भी घोषणा की कि भविष्य में इन सभी गांवों में संस्कृत भवनों के निर्माण के साथ-साथ राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालयों की भी स्थापना की जाएगी।
ये गांव बने ‘आदर्श संस्कृत ग्राम’
मुख्यमंत्री ने देहरादून में भोगपुर, टिहरी में मुखेम, उत्तरकाशी में कोटगांव, रुद्रप्रयाग में बैंजी, चमोली में डिम्मर, पौड़ी गढ़वाल में गोदा, पिथौरागढ़ में उर्ग, अल्मोड़ा में जैंती पाण्डेकोटा, बागेश्वर में शेरी, चम्पावत में खर्ककार्की, हरिद्वार में नूरपुर पंजनहेडी, नैनीताल में पाण्डे गाँव और ऊधमसिंहनगर में नगला तराई को आदर्श संस्कृत ग्राम के रूप में घोषित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इन गांवों के लोगों से वर्चुअल माध्यम से संवाद भी किया।
संस्कृत के संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “देवभूमि उत्तराखंड सदियों से देववाणी संस्कृत के अध्ययन और शोध का केंद्र रही है। राज्य सरकार का प्रयास है कि देववाणी संस्कृत की पवित्र ज्योति को उत्तराखंड में प्रज्ज्वलित रखा जाए।” उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जो इस तरह की अनूठी पहल से संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी और पौड़ी में आई आपदा पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास कार्यों को पूरी संवेदना और तेज गति से करेगी।
केंद्र सरकार भी दे रही संस्कृत को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कार्य हो रहा है। नई शिक्षा नीति में संस्कृत को आधुनिक और व्यवहारिक भाषा बनाने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आदर्श संस्कृत ग्रामों में लोग अपने दैनिक जीवन में संस्कृत का प्रयोग करेंगे, जिससे यह देववाणी पुनः हमारे जीवन में बोलचाल और संवाद का हिस्सा बन सकेगी।
अन्य योजनाओं का भी किया जिक्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जिसमें देश में सबसे पहले समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करना शामिल है। उन्होंने बताया कि नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद लगभग 23 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है। साथ ही, राज्य में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के माध्यम से सनातन धर्म को बदनाम करने वाले पाखंडियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस अवसर पर कहा कि उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है, जिसने संस्कृत को अपनी दूसरी आधिकारिक भाषा घोषित किया है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से संस्कृत विद्यालयों में एनसीसी और एनएसएस की शुरुआत की जाएगी और शिक्षकों की कमी को भी दूर किया जाएगा।