नई दिल्ली।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोपों और प्रस्तावित विरोध मार्च के बीच चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने कांग्रेस पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों के साथ बातचीत का दरवाजा खोलते हुए सोमवार दोपहर 12 बजे एक बैठक बुलाई है। इस बैठक का उद्देश्य मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों और चिंताओं पर चर्चा करना हो सकता है।
चुनाव आयोग सचिवालय ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद जयराम रमेश को एक पत्र भेजकर इस बैठक की जानकारी दी। पत्र में कहा गया है, “आयोग ने आपके अनुरोध पर विचार करते हुए बातचीत के लिए समय देने का निर्णय लिया है।” हालांकि, इस पत्र में बैठक के एजेंडे का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि चर्चा का मुख्य केंद्र बिहार का SIR विवाद ही होगा। आयोग ने जगह की कमी का हवाला देते हुए बैठक के लिए अधिकतम 30 प्रतिनिधियों के नाम और उनकी गाड़ियों के नंबर मांगे हैं।
क्या है SIR पर पूरा विवाद?
यह पूरा विवाद बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) कार्यक्रम को लेकर है। इंडी गठबंधन समेत कई विपक्षी दल इस प्रक्रिया की निष्पक्षता पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसके जरिए मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर कर ‘वोट चोरी’ की जमीन तैयार की जा रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इस मामले पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा, “सभी बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) एक कमरे में बैठकर ‘फर्जी फॉर्म’ भर रहे हैं।” उन्होंने यह भी दावा किया कि चुनाव आयोग उन लोगों की सूची जारी नहीं कर रहा है जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जिससे मतदाता सूची में गड़बड़ी की आशंका और भी बढ़ गई है।
विपक्ष का विरोध मार्च और सरकार का पक्ष
इन्हीं आरोपों को लेकर इंडी गठबंधन ने सोमवार को ही संसद भवन से चुनाव आयोग के कार्यालय तक एक विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया है। इस मार्च का उद्देश्य SIR प्रक्रिया के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराना और चुनाव आयोग पर निष्पक्ष कार्रवाई के लिए दबाव बनाना है। यह बैठक इस प्रस्तावित विरोध मार्च से ठीक पहले हो रही है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
वहीं, इस मुद्दे पर सरकार ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले कहा था कि सरकार नियमों के तहत किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन SIR जैसे मुद्दे पर संसद में बहस नहीं हो सकती। उन्होंने तर्क दिया कि यह एक संवैधानिक निकाय, यानी भारत के चुनाव आयोग द्वारा संचालित प्रक्रिया है, और सरकार इसमें सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
सोमवार को होने वाली यह बैठक और विपक्ष का विरोध मार्च, दोनों ही राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं। एक ओर जहां विपक्ष मतदाता सूची की शुचिता को लेकर चुनाव आयोग को घेरने की तैयारी में है, वहीं चुनाव आयोग ने बातचीत का रास्ता खोलकर तनाव कम करने का प्रयास किया है। इस बैठक के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी होंगी, क्योंकि यह न केवल बिहार बल्कि देश की चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता से जुड़ा एक अहम मुद्दा बन गया है।