उप-हेडिंग: धार्मिक स्थलों के लिए 550 करोड़ रुपये मंजूर, पुजारियों को दी जा रही विशेष ट्रेनिंग
शिमला। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज यहां कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और धार्मिक स्थलों के आधुनिक विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश की समृद्ध परंपराओं और विरासत को सहेजने के साथ-साथ विभिन्न तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार ने अब तक प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक स्थलों, प्राचीन मंदिरों और ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और विकास के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इसमें से लगभग 50 करोड़ रुपये प्राचीन मंदिरों, किलों और पुरातात्विक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, राज्य द्वारा अधिगृहीत मंदिरों में विभिन्न विकासात्मक कार्यों के लिए 37 करोड़ रुपये की सहायता भी प्रदान की गई है।
डिजिटल सुविधाओं और ढांचागत विकास पर जोर
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 8 अगस्त, 2023 से श्री चिंतपूर्णी मंदिर में सुगम दर्शन प्रणाली शुरू की गई, जिससे भीड़ प्रबंधन में मदद मिली है और बुजुर्गों व दिव्यांगजनों को विशेष सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन लंगर बुकिंग और ऑनलाइन दर्शन जैसी डिजिटल सेवाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं। इसी तरह की डिजिटल व्यवस्था प्रदेश के अन्य मंदिर न्यासों में भी लागू की जा रही है।
उन्होंने कहा कि ‘प्रसाद’ योजना के तहत, धार्मिक पर्यटन और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए श्री चिंतपूर्णी मंदिर के लिए 56.26 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। श्री चिंतपूर्णी मंदिर में 250 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य परिसर का भी निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, सरकार ने श्री ज्वालामुखी और श्री नैना देवी मंदिरों के विकास के लिए भी 100-100 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
पुजारियों को मिल रहा विशेष प्रशिक्षण
मुकेश अग्निहोत्री ने एक महत्वपूर्ण पहल का जिक्र करते हुए कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों और मंत्रोच्चारण में शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए मंदिर के पुजारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। हाल ही में, श्री चिंतपूर्णी मंदिर के 15 और श्री नैना देवी मंदिर के 10 पुजारियों ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत संकाय में ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में अन्य मंदिर न्यासों के पुजारियों को भी चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि सांस्कृतिक विरासत के रखरखाव के लिए 11.16 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, जबकि आवर्ती निधि योजना के तहत नियमित पूजा-पाठ और ढांचागत विकास के लिए धार्मिक संस्थानों को सालाना एक करोड़ रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। छोटे मंदिरों में धूप और प्रकाश व्यवस्था के लिए वित्तीय सहायता को भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए दोगुना कर दिया गया है।
सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का लक्ष्य
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार केवल मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों के संरचनात्मक विकास पर ही ध्यान नहीं दे रही है, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक चेतना और परंपरा के जीवंत केंद्रों के रूप में भी संरक्षित कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए भी लगातार प्रयास कर रही है। इसके तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन, पारंपरिक प्रथाओं का दस्तावेजीकरण और हिमाचल की लोक कलाओं, पारंपरिक संगीत, हस्तशिल्प और रीति-रिवाजों को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने विश्वास जताया कि इन प्रयासों से युवाओं में अपनी परंपराओं के प्रति गर्व की भावना पैदा होगी और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को एक नई पहचान मिलेगी, जो राज्य की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।