नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का आज (21 जुलाई 2025) को आगाज भारी हंगामे के साथ हुआ। 32 दिनों तक चलने वाले इस सत्र के पहले ही दिन, लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में विपक्ष ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। विपक्ष के जोरदार विरोध और नारेबाजी के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह सत्र सरकार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।
राज्यसभा में सत्र की शुरुआत होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहलगाम हमले का मुद्दा उठाते हुए सरकार की सुरक्षा नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने सदन में बोलते हुए पुरानी सरकारों के समय का जिक्र किया और कहा, “जब देश पर आतंकवादी हमले हुए, तब पूरा विपक्ष एकजुट होकर सरकार के साथ खड़ा रहा। उस समय कांग्रेस ने देश की एकता और अखंडता के लिए सरकार को बिना किसी शर्त के समर्थन दिया था, ताकि दुनिया में यह संदेश जाए कि आतंक के खिलाफ पूरा भारत एक है।” खरगे ने इशारों में मौजूदा सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर विफल रहने का आरोप लगाया।
खरगे के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने जोरदार पलटवार किया। उन्होंने सरकार की आतंकवाद-रोधी नीतियों का बचाव करते हुए कहा, “आजादी के बाद इस तरह का ऑपरेशन नहीं हुआ।” नड्डा का यह बयान हाल ही में सरकार द्वारा किए गए सफल सैन्य अभियानों, जैसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’, की ओर एक स्पष्ट इशारा था। इसके माध्यम से उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि वर्तमान सरकार आतंकवाद पर पहले की सरकारों की तुलना में कहीं अधिक निर्णायक और प्रभावी कार्रवाई कर रही है। इस बयान के बाद सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया।
वहीं, लोकसभा में भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी। सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसद अपनी सीटों से खड़े हो गए और पहलगाम हमले पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। सदन में बढ़ते हंगामे को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
जब 12 बजे कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो विपक्ष का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। विपक्षी सांसद “सरकार जवाब दो, जवाब दो” के नारे लगाते रहे, जिससे सदन का कामकाज असंभव हो गया। इसके बाद, सदन की कार्यवाही को एक बार फिर दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
सत्र के पहले दिन का यह टकरावपूर्ण नजारा साफ संकेत देता है कि विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा, महंगाई और अन्य ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी के साथ आया है। सरकार को आने वाले दिनों में विपक्ष के कड़े सवालों का सामना करना पड़ेगा, जिससे यह मानसून सत्र बेहद हंगामेदार और टकरावपूर्ण रहने की प्रबल संभावना है।
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