शिमला। हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुई बादल फटने और आकस्मिक बाढ़ की घटनाओं के बाद, राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन और राहत उपायों को मजबूत करने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट उप-समिति की एक उच्च-स्तरीय बैठक में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बहाल करने और भविष्य के लिए तैयारियों को पुख्ता करने पर जोर दिया गया।
बैठक का मुख्य केंद्रबिंदु आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों की मरम्मत, पुलों का पुनर्निर्माण और बाधित हो चुकी जल आपूर्ति योजनाओं को फिर से शुरू करने जैसे तत्काल राहत कार्यों की समीक्षा करना था। इसके साथ ही, भविष्य में आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए दो बड़े निर्णय लिए गए।
पहला, समिति ने आपदा प्रबंधन के लिए एक उन्नत ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ (EWS) को मजबूत करने की मंजूरी दी। यह प्रणाली वास्तविक समय में मौसम की निगरानी, आपदा का पूर्वानुमान और समय पर अलर्ट जारी करने में सक्षम होगी। इससे समुदायों और अधिकारियों को निवारक कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा, जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके।
दूसरा, आपदा के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए, समिति ने बचाव और पुनर्वास कार्यों के लिए एक हेलीकॉप्टर किराए पर लेने का भी निर्णय लिया। इससे दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में फंसे लोगों तक तेजी से पहुंचने और राहत सामग्री पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिससे बचाव अभियानों को गति दी जा सकेगी।
किसानों को राहत देने के लिए भी अहम फैसला
एक अन्य महत्वपूर्ण बैठक में, जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट उप-समिति ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए भूमि को नियमित करने के मुद्दे पर भी चर्चा की। इस बैठक में किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुए कैबिनेट उप-समिति ने हिमाचल प्रदेश को वन संरक्षण अधिनियम (FCA) के तहत रियायत देने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने को मंजूरी दी। इस कदम का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को उनकी भूमि पर अधिकार दिलाना है, जो अक्सर कानूनी जटिलताओं में फंसी रहती है।
इन महत्वपूर्ण बैठकों में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) कमलेश कुमार पंत, विशेष सचिव (राजस्व-आपदा) डीसी राणा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। इन फैसलों से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार न केवल आपदाओं से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है, बल्कि प्रदेश के किसानों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं के समाधान के लिए भी गंभीरता से काम कर रही है।