मंडी/नई दिल्ली। मंडी से नवनिर्वाचित सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने राजनीति को एक ‘महंगा शौक’ और ‘सबसे अधिक दुर्व्यवहार वाला पेशा’ बताया है। एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने अपनी नई राजनीतिक भूमिका की चुनौतियों और जमीनी हकीकतों पर खुलकर बात की, जो उनके चुनावी क्षेत्र से लेकर संसद तक के अनुभवों पर आधारित है।
अपेक्षाओं और हकीकत में जमीन-आसमान का फर्क
कंगना ने खुलासा किया कि उन्हें यह जानकारी दी गई थी कि सांसद के तौर पर वह संसदीय कार्यों के अलावा अपना पेशेवर काम (अभिनय) भी जारी रख सकती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा, “अब लोग मेरे पास टूटी सड़कों, नालियों और संपर्क मार्गों जैसी स्थानीय समस्याओं की शिकायतें लेकर आते हैं।” उन्होंने बताया कि उनके विशाल संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनका प्रबंधन करना एक बड़ी और मुश्किल चुनौती है।
निजी संसाधनों की कमी और आर्थिक बोझ
अभिनेत्री से नेत्री बनीं कंगना ने राजनीति के आर्थिक बोझ पर भी बात की। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने स्टाफ पर लाखों रुपये निजी तौर पर खर्च करने पड़ते हैं, जबकि जनता की उम्मीदें बहुत बड़ी होती हैं। उन्होंने कहा, “अन्य नेताओं की तरह मेरे पास कोई एनजीओ या निजी संसाधन नहीं हैं, जिनके माध्यम से मैं लोगों को तत्काल राहत प्रदान कर सकूं। मैं जो भी करती हूं, अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर करती हूं।”
फिल्मी दुनिया और राजनीति में अंतर
राजनीति और फिल्मी दुनिया की तुलना करते हुए कंगना ने एक दिलचस्प अंतर बताया। उनके अनुसार, फिल्मी दुनिया में अगर कोई फिल्म फ्लॉप हो जाती है, तो कलाकार को बार-बार मौके नहीं मिलते। इसके विपरीत, राजनीति में जनता घोटालों को लेकर शोर मचाती है, लेकिन अक्सर वही नेता चुनाव जीतते रहते हैं। कंगना ने कहा कि उन्होंने सबसे कठिन सीटों में से एक पर चुनाव जीता है और वह अपने काम को लेकर पूरी ईमानदारी बरतती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, “जो काम मेरे दायरे में नहीं आता, मैं उस पर दूसरों की तरह झूठे वादे नहीं करती।”
भाजपा और जयराम ठाकुर की प्रशंसा
साक्षात्कार के दौरान कंगना ने अपनी पार्टी भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भाजपा आम कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का अवसर देती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देते हुए उन्होंने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का जिक्र किया, जो एक साधारण मिस्त्री के बेटे थे और नंगे पांव बर्फ पर चलकर स्कूल जाते थे। उन्होंने कहा, “एक साधारण किसान परिवार से निकलकर मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचना केवल भाजपा में ही संभव है।” कंगना के इस बयान से राजनीति में एक बाहरी व्यक्ति के रूप में उनकी चुनौतियों और अनुभवों की एक स्पष्ट तस्वीर सामने आती है।