नई दिल्ली, 19 अप्रैल 2025
हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास कांचा गचीबावली में पेड़ों की कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तेलंगाना सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तेलंगाना सरकार से पूछा कि पेड़ों को गिराने की इतनी जल्दी क्या थी? कोर्ट ने सरकार से 100 एकड़ भूमि पर जंगल और हरियाली को बहाल करने की योजना बनाने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण को हुए नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे वीडियो देखकर आश्चर्य हुआ, जिसमें जानवर आश्रय की तलाश में भाग रहे हैं। कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उन जंगली जानवरों की सुरक्षा कैसे होगी। तेलंगाना के वन्यजीव वार्डन को निर्देश दिया गया है कि वह वनों की कटाई से प्रभावित वन्यजीवों की जांच करें और उनकी सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाएं। पीठ ने कहा कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी। इस बीच वहां एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास 400 एकड़ जमीन से पेड़ों को काटा जा रहा है। यह जमीन राज्य सरकार की है और सरकार ने इसे तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन (TSIIC) को आवंटित किया है। TSIIC ने इस जमीन पर विकास कार्य के लिए 30 मार्च से पेड़ों की कटाई शुरू की थी, जिसका हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों और पर्यावरणविदों ने विरोध किया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इससे वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है। हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि यह जमीन उसकी है, न कि विश्वविद्यालय प्रशासन की। सरकार कानून के उल्लंघन से भी इनकार कर रही है। इस मुद्दे को लेकर हैदराबाद विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और इससे शैक्षणिक सत्र का नुकसान हो रहा है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने उठाया था। कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए 3 अप्रैल को निर्देश दिया था कि अगले आदेश तक राज्य या किसी भी प्राधिकारी द्वारा वहां पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा के अलावा किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि नहीं की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति को भी संबंधित स्थल का दौरा करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
तेलंगाना सरकार पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से सवाल किया कि पेड़ों को काटने की इतनी जल्दी क्या थी? क्या विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाना उचित है? कोर्ट ने सरकार से 100 एकड़ भूमि पर जंगल और हरियाली को बहाल करने की योजना बनाने को कहा है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद करेगा।
वन्यजीवों की सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने वन्यजीवों की सुरक्षा पर भी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने तेलंगाना के वन्यजीव वार्डन को निर्देश दिया है कि वह वनों की कटाई से प्रभावित वन्यजीवों की जांच करें और उनकी सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाएं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि विकास कार्य वन्यजीवों के जीवन को खतरे में न डालें।
पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। पीठ ने कहा कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है जो पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित करता है।
आगे की कार्यवाही
मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी। इस बीच वहां एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पर्यावरणविदों और छात्रों को राहत मिली है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से इस मामले का जल्द समाधान होगा और पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी।
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