शिमला, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता विमल नेगी की मौत का मामला शुक्रवार को विधानसभा में जमकर गूंजा। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मामले को उठाते हुए सीबीआई जाँच की मांग की। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई और अंततः विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
सरकार कर रही निष्पक्ष जाँच: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार मामले की निष्पक्ष जाँच कर रही है। एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है और दूसरे को छुट्टी पर भेज दिया गया है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
विपक्ष ने उठाए कई सवाल: जयराम ठाकुर ने ऊर्जा निगम में देसराज की निदेशक पद पर नियुक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि देसराज को पांच लोगों को दरकिनार करके यह पद क्यों दिया गया? उन्होंने शौंगटोंग और पेखुवेला परियोजनाओं का भी ज़िक्र किया। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने FIR में केवल निदेशक देसराज का नाम होने पर सवाल उठाया और कहा कि दूसरे अधिकारी का नाम भी शामिल होना चाहिए।
सरकार पर आरोप: रणधीर शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार के चार मंत्रियों ने आधी रात को मृतक के स्वजनों को गुमराह किया। उन्होंने आईएएस अधिकारी के खिलाफ जाँच एक अन्य आईएएस अधिकारी को सौंपे जाने पर भी सवाल उठाया।
कांग्रेस का समर्थन: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि अगर विमल नेगी के स्वजन सीबीआई जाँच चाहते हैं, तो कांग्रेस पार्टी उनके साथ है।
मुख्यमंत्री का पलटवार: मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि विमल नेगी के परिवार वाले सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं, केवल भाजपा ही असंतुष्ट है। उन्होंने भाजपा पर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और पूछा कि पूर्व सरकार के समय सुंदरनगर में जहरीली शराब कांड और पेपर लीक मामले में सीबीआई जाँच की मांग क्यों नहीं की गई?
विधानसभा अध्यक्ष ने लिया संज्ञान: विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विमल नेगी की मौत एक संवेदनशील मामला है और विधानसभा ने इस पर संज्ञान लिया है। वह खुद इस मामले को देखेंगे ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।
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