Uttarakhand: हरिद्वार धर्म संसद पर प्रशासन का पहरा, यति नरसिंहानंद की अनुमति रद्द, तंबू-पंडाल हटवाए

हरिद्वार: डासना पीठाधीश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद द्वारा 19 से 21 दिसंबर तक हरिद्वार के जूना अखाड़े में प्रस्तावित धर्म संसद को स्थानीय प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है. प्रशासन ने आयोजन स्थल पर नोटिस चस्पा कर तंबू और पंडाल हटवा दिए हैं. इससे नाराज यति नरसिंहानंद ने प्रशासन पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए 21 दिसंबर को जूना अखाड़े से सुप्रीम कोर्ट तक पैदल मार्च करने की घोषणा की है.

यति नरसिंहानंद का कहना है कि वे सिर्फ कुरान में लिखी बातें ही कह रहे हैं और अगर उन्होंने कुछ भी गलत कहा हो तो वे फांसी की सजा भुगतने को तैयार हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर उन्हें बोलने का अधिकार नहीं है? वे सुप्रीम कोर्ट से यही सवाल पूछने के लिए पैदल मार्च करेंगे.

एसडीएम सदर अजयवीर सिंह ने बताया कि प्रशासन ने धर्म संसद को अनुमति नहीं दी थी. हालांकि, पुलिस प्रशासन एक दिन पहले से यति नरसिंहानंद के साथ बातचीत कर रहा था और सशर्त अनुमति देने पर विचार कर रहा था, लेकिन अंतिम समय में अनुमति रद्द कर दी गई. इसके बावजूद आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं और लोग आने भी लगे थे, जिसके बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाई. जूना अखाड़ा परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

बुधवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने जूना अखाड़ा पहुंचकर यति नरसिंहानंद से मुलाकात की थी. इस दौरान 2021 में हुई धर्म संसद के बाद हेट स्पीच के आरोप में दर्ज मुकदमों का भी ज़िक्र किया गया. यति नरसिंहानंद का आरोप है कि अधिकारी उन्हें धमका रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्यक्रम की अनुमति मांगी है.

गौरतलब है कि 2021 में हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके बाद यति नरसिंहानंद समेत कई संतों पर हेट स्पीच के मामले दर्ज हुए थे. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. इसी वजह से इस बार प्रशासन पहले से ही सतर्क था.

धर्म संसद और अभिव्यक्ति की आज़ादी:

यह मामला एक बार फिर धर्म संसद जैसे आयोजनों और अभिव्यक्ति की आज़ादी की सीमाओं पर बहस छेड़ सकता है. एक तरफ धार्मिक नेताओं को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, तो दूसरी तरफ समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखना भी ज़रूरी है. प्रशासन की यह ज़िम्मेदारी है कि वह किसी भी तरह की हिंसा या नफ़रत फैलाने वाली गतिविधियों को रोके.

आगे की कार्रवाई:

अब देखना होगा कि यति नरसिंहानंद की ओर से घोषित पैदल मार्च होता है या नहीं, और अगर होता है तो प्रशासन क्या रुख अपनाता है. साथ ही, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय आता है, इस पर भी सभी की नज़रें रहेंगी.

मुख्य बिंदु:

  • यति नरसिंहानंद की धर्म संसद को प्रशासन ने नहीं दी अनुमति.

  • आयोजन स्थल से तंबू-पंडाल हटवाए गए.

  • यति नरसिंहानंद ने प्रशासन पर प्रताड़ना का आरोप लगाया.

  • 21 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट तक पैदल मार्च की घोषणा.

  • 2021 की धर्म संसद के बाद हेट स्पीच के मामले दर्ज हुए थे.

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