द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर मंदिर के कपाट आज सुबह 11 बजे विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. अब आगामी 6 माह तक धाम में ही आराध्य की पूजा होगी. 15 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से रवाना हुई डोली आज सुबह अपने आखिरी रात्रि प्रवास गौंडार गांव से बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा कूनचटटी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंची. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट 11 बजे कर्क लगन में वेद ऋचाओं के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए। द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर मंदिर के कपाट खुलने के दौरान हजारों संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. इस दौरान मदमहेश्वर धाम को फूलों से सजाया गया. इसके साथ ही धाम में अब श्रद्धालु भगवान मदमहेश्वर के दर्शन कर सकेंगे. मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा होने से यह तीर्थ मदमहेश्वर के नाम से जाना जाता है. यह तीर्थ सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान होने से मदमहेश्वर तीर्थ अधिक रमणीक लगता है.