देहरादून: गंगा-यमुना और बदरी-केदार की धरती में सौर ऊर्जा क्रांति की नींव पड़ चुकी है। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के जरिए सैकड़ों लोग अपने सोलर प्लांट सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं। उत्तराखण्ड में इस समय करीब 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा पैदा हो रही है, साथ ही 174 मेगावाट क्षमता के नए सोलर पावर प्लांट का भी आवंटन हो चुका है।
सीएम सौर स्वरोजगार योजना:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार प्रदेश में पलायन रोकने और स्वरोजगार के साधन विकसित करने के लिए सीएम सौर स्वरोजगार योजना संचालित कर रही है। इस योजना के तहत एक परिवार का एक व्यक्ति 20, 25, 50, 100 या 200 किलोवॉट का एक सोलर प्लांट लगा सकता है। यूपीसीएल पूरी उत्पादित बिजली खरीदता है। इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और उद्योग विभाग की एमएसएमई पॉलिसी के तहत मिलने वाली सभी छूट का लाभ प्रदान किया जा रहा है। सोलर प्लांट के लिए प्रदेश के स्थायी निवासी ही पात्र होते हैं, प्लांट की स्थापना अपनी निजी भूमि के साथ ही लीज की जमीन पर भी की जा सकती है। प्लांट लगाने के लिए सहकारी बैंक के साथ ही अन्य बैंकों के जरिए भी लोन प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान:
“उत्तराखण्ड को धूप का उपहार प्रकृति से मिला है, यहां सर्दियों में भी धूप खिली रहती है। इस कारण उत्तराखण्ड राज्य सौर ऊर्जा के लिए आदर्श है। इसीलिए सरकार सोलर प्रोजेक्ट का बढावा दे रही है। इसके लिए उद्यमियों को तमाम तरह से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सोलर प्रोजेक्ट से पलायन रोकथाम के साथ ही, गांवों की आर्थिकी बढ़ाने में कारगर साबित हुई है।”
सफलता की कहानियाँ:
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आमोद पंवार (उत्तरकाशी): चिन्यालीसौड़ के पास टिपरी गांव निवासी आमोद पंवार ने सोलर पावर प्रोजेक्ट, खेती- बागवानी के साथ ही मत्स्य और मधुमक्खी पालन का एक सफल स्वरोजगार मॉडल खड़ा किया है।
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प्रताप सिंह रावत (टिहरी): देवप्रयाग विकासखंड के निवासी प्रताप सिंह रावत ने 2020 में खुद के नाम 400 किलोवाट का प्लांट लगाया, इसके बाद पत्नी के नाम 200 किलोवाट का प्लांट लिया। इसी साल सीएम सौर स्वरोजगार योजना के तहत बेटे के नाम भी 200 किलोवाट की एक और परियोजना शुरु कर चुके हैं।
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