शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार का दावा है कि राज्य में वेतन-पेंशन का संकट दिसंबर तक दूर हो जाएगा। सरकार का कहना है कि कुशल वित्तीय प्रबंधन और केंद्र से मिलने वाले अनुदानों के चलते वेतन-पेंशन का भुगतान समय पर किया जा सकेगा।
सरकार ने हाल ही में मंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों का वेतन दो महीने के लिए विलंबित करने का फैसला लिया था। इसके साथ ही कर्मचारियों और पेंशनर्स से वेतन और पेंशन के लिए धैर्य रखने का आग्रह किया गया था। पिछले महीने वेतन और पेंशन क्रमशः 5 तारीख और 10 तारीख को बैंकों में पहुंचा था। सरकार ने वित्तीय प्रबंधन के माध्यम से 700 करोड़ रुपये का ऋण भी लिया था।
सरकार ने कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन की तारीखों में बदलाव किया है ताकि बाजार से अधिक ब्याज दर पर ऋण लेने से बचा जा सके। इससे सरकार को हर महीने लगभग 3 करोड़ रुपये की बचत होगी, जिससे सालाना 36 करोड़ रुपये की बचत होगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा था कि राज्य का राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) 6 तारीख को और केंद्रीय करों के शेयर की राशि 10 तारीख को मिलती है। राज्य पर कुल 88,589 करोड़ रुपये का कर्ज है।
वेतन-पेंशन की वार्षिक देनदारियां 27 हजार करोड़ रुपये हैं। राज्य पर प्रति व्यक्ति आय 1.17 लाख रुपये है।
वित्तीय संकट के कई कारणों को विधानसभा में बताया गया, जिनमें शामिल हैं:
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वर्ष 2023-24 का राजस्व घाटा अनुदान 8,058 करोड़ रुपये में से वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1,800 करोड़ रुपये कम होना।
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इस वर्ष राजस्व घाटा अनुदान के तहत 6,258 करोड़ रुपये हैं और अगले वित्तीय वर्ष में यह घटकर 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगा।
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जून 2022 के बाद से जीएसटी मुआवजा भी मिलना बंद हो गया है।
सरकार का दावा है कि दिसंबर तक स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है और कर्मचारियों और पेंशनर्स को समय पर वेतन और पेंशन मिलना सुनिश्चित होगा।
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