शहीद अंकेश को माता पिता दूल्हे के रूप में नहीं देख पाए, लेकिन उनकी अंतिम यात्रा के लिए घर उसी तरह से सजाया है, जिसे की अंकेश की बारात निकलनी हो। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में घुमारवीं के सेऊ गांव में बांचा राम ने पूरे घर को शादी समारोह की तरह सजाया है। पूरे घर को लड़ियों और पत्रमाला से सजाया गया है। टेंट और स्वागत गेट लगाया गया है। जिस रास्ते से शहीद की पार्थिव देह घर लाई जानी है, उस रास्ते में बाकायदा होर्डिंग लगाए गए हैं।
शहीद अंकेश भारद्वाज की पार्थिव देह पांच दिन बाद भी घर नहीं पहुंची है। अरुणाचल प्रदेश में मौसम खराब होने से शनिवार को भी पार्थिव देह घर पहुंचने की उम्मीद कम है। बीते छह फरवरी को अंकेश के बर्फीले तूफान में लापता होने की खबर मिली थी। इसके बाद परिजनों के साथ क्षेत्र के लोग भी अंकेश के घर में बैठे हैं। अंकेश के दोस्तों और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी मंगवाई है। दाह संस्कार की लकड़ी मुक्तिधाम में पहुंचाई जा चुकी है। अंकेश की माता की आंखें बेटे के इंतजार में पथरा गई हैं। गांव की महिलाएं शहीद की माता को सांत्वना देने के लिए 6 जनवरी से अंकेश के घर पर हैं।