Delhi: पूर्वी लद्दाख में भारत ने न्योमा एयरबेस का संचालन किया शुरू, चीन सीमा पर सैन्य तत्परता बढ़ी

नई दिल्ली: भारत और चीन के रिश्तों में भले ही सुधार होता नजर आ रहा हो, लेकिन जमीनी स्तर पर दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी अब भी देखने को मिल रही है. इसी बीच, भारत ने अपनी सीमा से सटे पूर्वी लद्दाख में सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को अपना न्योमा एयरबेस का संचालन शुरू कर दिया है. इसके साथ ही, अरुणाचल प्रदेश में ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ नाम का एक बड़ा सैन्य अभ्यास भी चल रहा है, जिसे भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है. यह घटनाक्रम 34000 किमी से अधिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के ठीक विपरीत छोर पर हो रहा है, जो चीन सीमा पर भारत की उच्च सैन्य तत्परता को दर्शाता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है और सैन्य विश्वास बहाली के उपाय भी लगातार मजबूत हो रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर विश्वास की कमी अभी देखने को मिल रही है. यह ध्यान देने योग्य है कि साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में कई चीनी घुसपैठों के बाद से लगातार छठवें साल सैनिकों की अग्रिम तैनाती जारी है, जो सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति को दर्शाता है.

न्योमा एयरबेस को 230 करोड़ रुपये से किया गया अपग्रेड

भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने स्वयं सी-130जे ‘सुपर हरक्यूलिस’ विमान से हिंडन से न्योमा स्थित मुध हवाई अड्डे तक उड़ान भरी. यह 13,710 फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई अड्डा है, जो इसकी रणनीतिक महत्ता को और बढ़ा देता है. एलएसी से करीब 35 किमी दूर स्थित न्योमा में 230 करोड़ रुपये की लागत से उन्नयन कार्य किया गया है. इस उन्नयन में मूल हवाई पट्टी को 2.7 किमी लंबे रनवे में विस्तारित करना शामिल है, जो बड़े परिवहन विमानों और लड़ाकू जेट विमानों के संचालन की सुविधा प्रदान करेगा. इसके अलावा, यहां पर एक नया एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) कॉम्प्लेक्स, हैंगर, क्रैश बे और आवास जैसी आधुनिक सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं, जिससे इस एयरबेस की परिचालन क्षमता में काफी वृद्धि हुई है.

न्योमा एयरबेस का संचालन शुरू करना भारत की रक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह न केवल पूर्वी लद्दाख में भारतीय वायुसेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि क्षेत्र में भारतीय सेना के लिए भी रसद सहायता और हवाई सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह चीन के साथ किसी भी संभावित सैन्य टकराव की स्थिति में भारत को एक मजबूत स्थिति में लाएगा.

अरुणाचल प्रदेश में चल रहा ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ सैन्य अभ्यास भी भारत की पूर्वी सीमा पर अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है. यह अभ्यास भारतीय सेना और वायुसेना के बीच समन्वय और युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है. ये दोनों घटनाक्रम मिलकर चीन सीमा पर भारत की समग्र रक्षा तैयारियों को मजबूत करते हैं और यह संदेश देते हैं कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है.

 

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