नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नए अध्यक्ष की तलाश में हो रही देरी पर खुलकर बयान दिया है। गुरुवार शाम को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने साफ कहा कि अगर बीजेपी की कमान वाकई RSS के हाथ में होती, तो “नए अध्यक्ष का फैसला इतना वक्त न लेता।” यह बयान उस समय आया है जब बीजेपी में नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं।
मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में ही खत्म हो चुका है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव और संगठनात्मक व्यस्तताओं के चलते उन्हें दो बार कार्यकाल विस्तार दिया गया। अब बीजेपी के सामने नया नेतृत्व चुनने की चुनौती है और विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि बीजेपी के फैसले RSS के इशारे पर होते हैं। भागवत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि RSS अपने स्वयंसेवकों पर भरोसा करता है और कोई भी फैसला सामूहिक रूप से लिया जाता है।
RSS और बीजेपी का रिश्ता:
RSS को अक्सर बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है। दोनों संगठनों का रिश्ता पुराना है और कई मौकों पर RSS के स्वयंसेवक बीजेपी के लिए रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि, मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि RSS, बीजेपी के रोज़मर्रा के कामकाज में सीधा दखल नहीं देता। उन्होंने कहा, “हमारे बीच कोई झगड़ा नहीं है। हो सकता है कुछ मसले पर चर्चा हो, लेकिन फैसले बीजेपी को ही लेने हैं।”
भागवत का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद गठबंधन सरकार बनानी पड़ी। ऐसे में नए अध्यक्ष का चयन न सिर्फ संगठन के लिए, बल्कि बीजेपी की सियासी रणनीति के लिए भी अहम है।
ट्रंप टैरिफ और स्वदेशी पर मोहन भागवत:
मोहन भागवत ने अमेरिकी टैरिफ के बाद स्वदेशी के लिए पहल करने की अपील की और सरकार को सलाह दी कि किसी के उकसावे में न आएं। उन्होंने ट्रंप को भी नसीहत देते हुए कहा कि दबाव में व्यापार नहीं किया जाता।
दरअसल, भागवत नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज’ को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने लोगों से बाहर के बने उत्पादों की बजाय घर के बने पेय और खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करने की अपील की।
भागवत ने कहा, “आत्मनिर्भरता को अपने घर से शुरू करें। जब स्वदेशी की बात करते हैं तो लगता है कि विदेशों से संबंध नहीं रहेंगे। ऐसा नहीं है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार तो होगा, लेकिन इसमें दबाव नहीं, स्वेच्छा होना चाहिए। इसलिए स्वदेशी का पालन करना है। अपने घर की चौखट के अंदर अपनी भाषा और अपनी वेशभूषा चाहिए। भाषा, भूषा, भजन, भोजन अपने घर के अंदर अपना, अपनी परंपरा का चाहिए। जहां आवश्यक है, अपनी भाषा के शब्द प्रयोग करो।” उन्होंने आत्मनिर्भरता और भारतीय संस्कृति के महत्व पर ज़ोर दिया।
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