लखनऊ।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन, राज्य सरकार ने वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक’ पेश किया। सरकार का कहना है कि इस न्यास का गठन मंदिर के संस्थापक स्वामी हरिदास जी की परंपराओं को आगे बढ़ाने, प्रशासन को संस्थागत रूप देने और देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और उन्नत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है।
न्यास का होगा संपत्ति पर पूर्ण अधिकार
विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों पर अब न्यास का पूर्ण अधिकार होगा। इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, देवताओं को दी गई भेंट, पूजा-अनुष्ठान के लिए दी गई संपत्ति, नकद या वस्तु रूपी अर्पण, और यहां तक कि डाक या तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक भी शामिल होंगे। मंदिर के आभूषण, अनुदान, हुंडी संग्रह सहित श्री बांके बिहारी जी की सभी चल एवं अचल संपत्तियां न्यास की संपत्ति मानी जाएंगी।
परंपराएं रहेंगी अक्षुण्ण, श्रद्धालुओं को मिलेंगी विश्वस्तरीय सुविधाएं
सरकार ने आश्वस्त किया है कि न्यास के गठन के बाद भी स्वामी हरिदास के समय से चली आ रही सदियों पुरानी रीति-रिवाज, त्योहार, समारोह और अनुष्ठान बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के जारी रहेंगे। न्यास का मुख्य कार्य दर्शन का समय तय करना, पुजारियों की नियुक्ति, उनके वेतन-भत्ते निर्धारित करना और भक्तों की सुरक्षा के साथ मंदिर का प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा।
न्यास गठन का एक बड़ा लक्ष्य श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इसके तहत प्रसाद वितरण की सुगम व्यवस्था, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग, पेयजल, विश्राम हेतु बेंच, आधुनिक कतार प्रबंधन प्रणाली, गौशालाएं, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी।
कैसा होगा न्यास का स्वरूप?
विधेयक में न्यास की एक विस्तृत संरचना प्रस्तावित की गई है:
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कुल सदस्य: न्यास में कुल 18 सदस्य होंगे, जिनमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य शामिल होंगे। 
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मनोनीत सदस्य (11): - 
वैष्णव परंपराओं से 3 प्रतिष्ठित सदस्य (संत, गुरु, विद्वान, महंत आदि)। 
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सनातन धर्म की परंपराओं से 3 प्रतिष्ठित सदस्य। 
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सनातन धर्म की किसी भी शाखा से 3 प्रतिष्ठित व्यक्ति (शिक्षाविद, उद्यमी, समाजसेवी आदि)। 
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गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य (स्वामी हरिदास जी के वंशज, जिनमें एक राज-भोग सेवादार और एक शयन-भोग सेवादार का प्रतिनिधि होगा)। 
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शर्त: सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे और उनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। 
 
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पदेन सदस्य (7): - 
मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट (DM) 
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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) 
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नगर निगम आयुक्त 
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उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ 
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बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ 
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राज्य सरकार का एक नामित प्रतिनिधि 
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शर्त: यदि कोई पदेन सदस्य सनातनी हिंदू नहीं है, तो उसकी जगह उससे कनिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाएगा। 
 
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न्यास के अधिकार और दायित्व
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न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी। 
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न्यास को ₹20 लाख तक की चल/अचल संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा, इससे अधिक के लिए सरकार की स्वीकृति लेनी होगी। 
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न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे। 
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सद्भावना-पूर्वक किए गए कार्यों के लिए बोर्ड या उसके सदस्यों को उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा। 
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