चंडीगढ़। पंजाब में औद्योगिक विकास को एक नई और व्यावहारिक दिशा देने के लिए भगवंत मान सरकार ने एक बड़ी पहल की है। सरकार ने राज्य के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के लिए 22 अलग-अलग उद्योग समितियां बनाने का फैसला किया है। इन समितियों का मुख्य कार्य अपने-अपने सेक्टर की जमीनी हकीकत, चुनौतियों और जरूरतों को समझकर सरकार को सुझाव देना होगा, जिसके आधार पर एक नई और प्रभावशाली औद्योगिक नीति तैयार की जाएगी। सरकार ने इन समितियों को अपनी पहली रिपोर्ट सौंपने के लिए 45 दिनों का समय दिया है।
‘एक नीति सब पर लागू’ का दौर खत्म
उद्योग व वाणिज्य मंत्री संजीव अरोड़ा ने मीडिया को जानकारी देते हुए इस कदम के पीछे की सोच को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि अब तक जो औद्योगिक नीतियां बनती थीं, वे ‘एक नीति सब पर लागू’ के सिद्धांत पर आधारित थीं, जिससे हर उद्योग को समान रूप से लाभ नहीं मिल पाता था। उदाहरण के तौर पर, यदि बिजली ड्यूटी में छूट दी जाती है, तो इसका फायदा केवल उन्हीं उद्योगों को मिलता है, जिनकी बिजली की खपत बहुत अधिक है। कम बिजली खपत वाले उद्योगों को इससे कोई लाभ नहीं होता। उन्होंने कहा कि हर सेक्टर की अपनी खासियत होती है; कोई रोजगार अधिक पैदा करता है, तो कोई जीएसटी में ज्यादा योगदान देता है। इसलिए सरकार की मंशा हर उद्योग को उसकी जरूरत के अनुसार लाभ और प्रोत्साहन देने की है।
दो साल तक सुझाव देंगी समितियां
प्रत्येक समिति में एक चेयरमैन के अलावा आठ से दस सदस्य होंगे, जो अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ और हितधारक होंगे। इन समितियों का कार्यकाल दो साल का होगा, ताकि वे समय-समय पर बदलते औद्योगिक परिदृश्य के अनुसार सरकार को अपने सुझाव दे सकें। मंत्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि केवल कपड़ा उद्योग (टेक्सटाइल) ही ऐसा है, जिसे तीन भागों – स्पिनिंग, टेक्सटाइल और डाइंग – में बांटा गया है और इसके लिए तीन अलग-अलग समितियां बनाई गई हैं। इससे इस बड़े सेक्टर की हर बारीक जरूरत पर ध्यान दिया जा सकेगा।
इन समितियों के दायरे में आईटी, खेल, साइकिल उद्योग, इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, स्टील, फर्नीचर, रसायन, लॉजिस्टिक्स, पर्यटन, फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, फिल्म और मीडिया, अस्पताल और हेल्थकेयर, स्टार्टअप और रिटेल जैसे प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
वेयरहाउसिंग सेक्टर पर विशेष ध्यान
इसके अलावा, वेयरहाउसिंग सेक्टर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। श्री अरोड़ा ने बताया कि कई अन्य राज्य वेयरहाउसिंग के लिए विशेष सब्सिडी देते हैं, क्योंकि बिलिंग वहीं होने से उन्हें जीएसटी राजस्व का बड़ा लाभ मिलता है। पंजाब सरकार भी इस मॉडल को अपनाकर राज्य की आय बढ़ाना चाहती है।
यह कदम पंजाब सरकार की औद्योगिक नीति निर्माण में एक बड़े बदलाव का संकेत है। अब ऊपर से नीतियां थोपने की बजाय, उद्योग जगत की प्रत्यक्ष भागीदारी से एक व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी नीति बनाने की तैयारी है। इस पहल से उम्मीद है कि पंजाब में निवेश का माहौल और बेहतर होगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और राज्य आर्थिक विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।
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