Uttarakhand: सेब, कीवी, मोटे अनाज और ड्रैगन फ्रूट की खेती पर 80% तक सब्सिडी – The Hill News

Uttarakhand: सेब, कीवी, मोटे अनाज और ड्रैगन फ्रूट की खेती पर 80% तक सब्सिडी

देहरादून, 16 अप्रैल 2025: उत्तराखंड में बाजार आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब सेब, कीवी, मोटे अनाज और ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलेगी। सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इसके अलावा, बैठक में 25 अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई।

कीवी उत्पादन का लक्ष्य 33 हजार मीट्रिक टन

कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई कीवी नीति के तहत 2030-32 तक 3300 हेक्टेयर क्षेत्र में 33 हजार मीट्रिक टन कीवी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में 682 हेक्टेयर में 381 मीट्रिक टन कीवी का उत्पादन हो रहा है। नीति के तहत 50 से 70 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी।

मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना

कैबिनेट ने मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के तहत सॉर्टिंग और ग्रेडिंग इकाई की स्थापना के लिए 60 प्रतिशत अनुदान को मंजूरी दी है। सेब की तुड़ाई के बाद प्रबंधन योजना को भी मंजूरी मिली है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती पर 80 प्रतिशत सब्सिडी

ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक एकड़ में खेती पर आने वाली आठ लाख रुपये की लागत पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का फैसला लिया गया है।

मोटा अनाज नीति को मंजूरी

राज्य में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए मोटा अनाज नीति को मंजूरी दी गई है। इसके तहत चयनित मोटे अनाज के बीज, जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक, जिंक और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। पहले चरण (2025-26 से 2027-28) में 24 विकासखंडों के 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में और दूसरे चरण (2028-29 से 2030-31) में 44 विकासखंडों के 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मोटे अनाज की खेती की जाएगी।

स्कूली बच्चों को मुफ्त कॉपियां

सरकारी और अशासकीय स्कूलों के कक्षा 1 से 12 तक के 10 लाख छात्रों को मुफ्त कॉपियां देने का फैसला लिया गया है। इससे पहले, उन्हें केवल मुफ्त किताबें ही मिलती थीं।

डीएम और मंडलायुक्तों के अधिकार बढ़े

आपदा प्रबंधन कार्यों में जिलाधिकारियों के वित्तीय अधिकार 20 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये और मंडलायुक्तों के अधिकार एक करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये कर दिए गए हैं।

कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण फैसले:

  • हर जिले में संस्कृत गांव के लिए 20 हजार रुपये मानदेय पर प्रशिक्षक।

  • लेखा विभाग के सभी कर्मचारी लेखा एवं हकदारी के अधीन।

  • यूसर्क का यूकॉस्ट में विलय, नाम यूकॉस्ट रहेगा।

  • यूएसनगर के सिरौली कलां को नगर पालिका बनाने की मंजूरी।

  • उत्तराखंड आवास विकास परिषद के ढांचे का पुनर्गठन।

  • मेगा औद्योगिक नीति की अवधि जून तक बढ़ी।

  • उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए यूजीसी अधिनियम लागू।

  • उत्तराखंड प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण नियमावली में संशोधन।

  • रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को प्रमोटर्स से सड़क, पार्क आदि लेने की अनुमति, एग्रीमेंट में स्टांप शुल्क में 10 हजार की छूट।

  • देहरादून में रिस्पना पुल के किनारे शिखर फॉल से मोथरोवाला तक बाढ़ क्षेत्र अधिसूचित।

  • सिंचाई विभाग में वैज्ञानिक संवर्ग में प्रतिरूप सहायक का वेतन 1900 से 2400 रुपये।

  • सिंचाई विभाग में नलकूप मिस्त्री से जेई पद पर पदोन्नति के लिए आईटीआई योग्यता।

  • सब रजिस्ट्रार को वसीयत, शादी और तलाक के रजिस्ट्रेशन का अधिकार।

  • सीवर सफाई कर्मचारियों के बच्चों को छात्रवृत्ति।

  • आईटीडीए के ढांचे का पुनर्गठन, पद 45 से 54 हुए।

  • खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग में औषधि आयुक्त का नाम औषधि नियंत्रक।

  • पैक्स कैडर सचिव के लिए सेवा नियमावली।

  • पंचम विधानसभा के सत्रावसान को मंजूरी।

  • यूएसनगर में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए 11 हेक्टेयर जमीन निशुल्क।

  • विश्व बैंक पोषित अद्धनगरीय पेयजल योजना का खर्च 1042 करोड़।

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