देहरादून। उत्तराखंड में सीएम की कुर्सी पर काबिज होने के लिए दावेदार अपना दमखम लगा रहे हैं। नई दिल्ली जाकर संपर्क साधने की हिम्मत तो कई नहीं जुटा रहा, लेकिन दावेदार फोन से दिल्ली में बैठे नेताओं से जुड़े हुए हैं। सीएम धामी को दिल्ली का बुलावा आने के बाद कई दावेदारों के हौंसले पस्त हैं, जबकि कुछ यह दावा कर रहे हैं कि उनकी विदाई तय करने के लिए उनको पीएम और गृहमंत्री ने बुलाया है। फिलहाल, धामी रेस में सबसे आगे हैं।
सियासी गलियारों में कईं नाम तैर रहे हैं सीएम पद के लिए लेकिन फिर भी इन सब के बीच जिस कदर धामी के नाम की पैरवी जारी है उसे देखते हुए लगता है कि पार्टी हाईकमान भी अब उन्हे ही भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहा है। और अनुमान है कि इसी वजह से पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक को दिल्ली भी बुलाया गया है। कौशिक की मानें तो- ”उत्तराखंड के संबंध में भाजपा दिल्ली में आज एक महत्वपूर्ण बैठक करेगी। भाजपा नेता पुष्कर सिंह धामी और मदन कौशिक बैठक में शामिल होंगे’’ खबरें हैं कि ये दोनो नेता आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष से मुलाकात करेंगे। दोनो ही नेताओं की यहां गृह मंत्री अमित शाह, पर्वेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी के साथ भी मुलाकात हो सकती है. वैसे इस बैठक के मायने इसलिए भी निकलते हैं क्योंकि कल देर रात प्रधानमंत्री आवास पर भी एक मीटिंग बुलाई गई थी। इस बैठक में उत्तराखंड मे खाली चल रहे सीएम पद को लेकर भारीभरकम विचार लगता है किया गया है जिसके तहत तुरंत धामी और कौशिक को दिल्ली तलब कर लिया गया, लेकिन अब सवाल है कि होने जा रहा फैसला सीएम कुर्सी और धामी के बीच फासला बढाएगा या घटाएगा ?
फैसला कम करेगा कुर्सी तक का फासला ?
उत्तराखंड में सीएम चेहरे को लेकर कशमकश के बीच सोमवार देर रात प्रधानमंत्री आवास पर बैठक हुई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह , बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी शामिल हुए. अब धामी और कौशिक का भी उनमे आज शामिल होना सबको ये सोचने पर मजबूर कर रहा है कि पीएम मोदी ने लगता है आखिरकार धामी के नाम पर मोहर लगा दी है। हालाकि इसमें कितनी सच्चाई है इसका खुलासा भाजपा संगठन 19 तारीक की शाम तक कर देगा। लेकिन इससे पहले राज्य मे जिस तरह की स्थिती बन रही है वो चिंताजनक है। दरअसल अबतक कार्यवाहक सीएम धामी को भावी सीएम घोषित न किए जाने के कारण उनके समर्थक नाराज होने लगे हैं और प्रदर्शन पर उतर आए हैं।
धामी के पक्ष में कई केंद्रीय नेता
आपको इस तथ्य से पहले परिचीत करवा चुके हैं कि होलाष्टक के कारण शपथ ग्रहण जैसा मंगल कार्य राज्य मे टाल दिया गया है। लेकिन लगता है एक धड़ा ऐसा है जो कमसे कम ये सुनने के लिए बेताब है कि राज्य की बागडौर फिर पुष्कर सिंह धामी को ही सौंप दी गई है। इसी के चलते उत्तराखंड में धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर प्रदर्शन देखने को मिला। सैकड़ों प्रदर्शनकरियों में शामिल महिलाओं में धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐलान ना करने की लेकर काफी गुस्सा देखा गया. बता दें धामी को सीएम बनाए जाने के पक्ष मे उनके पक्षधर कईं तरह के तर्क दे रहे हैं जिन्हे केंद्र संगठन शायद ही नकार सके..
धामी के पक्ष में कईं तर्क
असल में, जिस तरह की स्थिती आज उत्तराखंड में है वही 2021 में बंगाल में देखने को मिली थी। जब ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने बंगाल में शानदार विजय हासिल की थी, लेकिन नंदीग्राम से ममता बनर्जी चुनाव हार गई थीं. फिर भी कमान उन्हे सौंप दी गई, इसके अलावा पूर्व में अरुण जेटली व स्मृति ईरानी के लोकसभा चुनाव में पराजित हो जाने पर उन्हें केंद्र में मंत्री बनाए जाने का तर्क भी दिया जा रहा है।
ये तर्क अब देखना है कि आलाकमान के फैसले में क्या फर्क लेकर आते हैं। क्या इनके आधार पर धामी को दोबारा ताज पहनाएगा जाएगा और अगर ताजपोशी धामी की नही तो फिर किस धुरंधर की होगी, इन सभी सवालों के जवाब के लिए और प्रदेश मे चल रही हर सियासी हलचल से रुबरु होने के लिए जुड़े रहें देवभूमि इन्साइडर के साथ….